Yug Purush

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अंतरिक्ष: A LONER... भाग -4

भाग -4 ~The Kiss



Day- 53~ The Kiss

 

“Hey , Mr. A… you know hindi ।anguage very well… right…? I have few questions... what does it mean… तउ... तौ .. तू .. हिजरा ..हिजडा .. है...? an indian guy said it to me”

मुझे भले ही पृथ्वी उतनी प्यारी ना हो लेकिन पृथ्वी खुद अपने आप में इस पुरे ब्रह्माण्ड का सबसे बड़ी चमत्कार थी , इसपर मुझे कभी कोई ऐतराज नहीं रहा । लेकिन यहाँ जीरो ग्रेविटी में उस चमत्कार का एक्सटेंडेड वर्जन देखने को मिलता है, क्यूंकि यहाँ किसी भी चीज की कोई लिमिट नहीं है ।

“Mr. A… तुम ... कर.. सकता है... क्या... ऐसा..?”मुझसे हिंदी में बात करने की कोशिश करते हुए निक  अटक –अटक कर धीरे –धीरे बोला और बोलने के साथ ही ISS के अन्दर अपने मुह से पानी के बुलबुलों को बाहर निकाला , जो जीरो ग्रेविटी के कारण नीचे गिरने की बजाय, वही हवा में  इधर –उधर थोडा बहुत हिलते हुए  बुलबुलों के रूप में ही स्थिर रहे । निक ने कुछ देर के लिए उन बुलबुलों को वैसे ही हवा में रहने दिया और फिर वापस अपने मुह में पानी के बुलबुलों को गटक कर ISS की छत की  तरफ उल्टा जम्प मारकर  किसी चमगादड़ की तरह ISS की छत से चिपक गया । उसके पैर छत की ओर थे और सिर नीचे मेरी तरफ । जैसा कि मैंने बताया ... यहाँ किसी भी चीज की कोई लिमिट नहीं है ।

 

जीरो ग्रेविटी में रहने के कई फायदों में से एक फायदा ये है कि  हम बिल्कुल चमगादड़ की तरह ISS की छत से उल्टा लटक कर सो सकते है । निक यही करने वाला था, पर ऐसा करने से पहले उसने मुझसे कुछ सवाल पूछे ... जो की हिंदी भाषा से सम्बंधित थे ।

 

“Hey , Mr. A… you know hindi language very well… right…?”

“ well, my parents were Indians”

“ok.. इसका .. मतलब .. होता .. क्या है... इसका मतलब ... तुम ..तू  हिजड़ा है ... an indian guy said it to me”

“it means… ahem… it means… you’re handsome … hijda , handsome  same -same”

  ऑरोरा  के youtube विडियो में अब हम भी आने लगे थे और निक को उन्ही विडियो में से किसी एक में एक भारतीय ने उसे हिजड़ा कह दिया था, क्यों कहा…. पता नहीं । पर मैंने मामले को सँभालते हुए  निक को उसका मतलब हैंडसम बताया । जिससे वो बहुत खुश हुआ ।

“और इसका का  होता है मतलब .... तेरी बहिन छक्की है ”

“it means.. your sister are handsome too... I mean.. beautifu।.” (what the hell)

“मैं उसका शुक... शुक ..रिया  करता हूँ । तुम भारतीय लोग कितना अच्छा...होता है ”

“बिल्कुल ... हम तो पैदा ही अच्छे होते है, अच्छाई तो हमारे रग –रग में है , उस youtube वाले का आगे शुक्रिया तो अदा करो, वो तुम्हे और अच्छाई दिखाएगा ”

 

ये हमारा फ्री टाइम था और फ्री टाइम में मैं अक्सर Cupo।a की खिडकियों से पृथ्वी को देखकर अपनी माँ को याद किया करता था । पृथ्वी मुझे मेरी माँ की याद दिलाती थी और जब मैं अपनी माँ को पृथ्वी से तुलना करता था तो मुझे थोडा बहुत समझ आता कि  हम पृथ्वी को पृथ्वी माँ क्यूँ कहते है । उत्पत्ति से लेकर मृत्यु तक हम... हमारे सारे कर्म –काण्ड यही तो होते है । ये बात अलग है कि आधुनिक मानव अब अपने विलासिता और लालच में इसे तबाह करता जा रहा है ।

“आकाश...  मुझे तुम्हारी माँ के बारे में पता चला ... सॉरी , मुझे पहले पता नहीं था ।”निक के जाने के बाद ऑरोरा  वहा आई

अपनी माँ का जिक्र होते ही अपने घर से इतनी दूर इस जीरो ग्रेविटी में पृथ्वी माँ को निहारते हुए 17000 मील प्रति घंटे की रफ़्तार से चक्कर लगते हुए ISS के अन्दर मैंने एक लम्बी सांस ली और Cupo।a की  खिडकियों से बाहर ही देखता रहा, मैं ऑरोरा  की तरफ पलटा तक नहीं....

“तुम्हारे पिताजी कल रात स्टैनफोर्ड मेडिकल केयर में चल बसे...  डायरेक्टर ने मुझे ये खबर तुम्हे देने के लिए कहा है और साथ में तुम्हारी मानसिक स्थिति पर इसका क्या प्रभाव पड़ा, इसकी भी रिपोर्ट उन्होंने मुझसे मांगी है”

“गुड... न्यूज़...”Cupo।a की खिडकियों से भारतीय प्रायद्वीप को देखते हुए मैंने बस इतना कहा...

“ तुमने इसे गुड न्यूज़ कहा क्या...??”मेरे जवाब से और मुझे इतना शांत देख ऑरोरा  थोडा चौंकी ,शायद उसने मुझसे ये एक्स्पेक्ट नहीं किया था ।

“इस दिन का मुझे बेसब्री से इन्तजार था, उम्मीद है जिस तरह उसने जीते-जी मेरी माँ को तडपाया वो खुद भी इसी तरह तड़प –तड़प कर मरा होगा”

“आकाश ...”थोडा तेज आवाज में वो बोली, शायद उसे मेरी ये बाते अच्छी नहीं लगी थी । पर यहाँ पृथ्वी से इतनी दूर अच्छाई का करना भी क्या है...?? यहाँ तो सिर्फ हमारा मिशन मायने रखता है । इंसानियत तो इंसानों की बस्ती में काम आती है ।

“आकाश हो सकता है तुम्हारे डैड से तुम्हारी अन –बन रही हो थोड़ी बहुत, लेकिन उनके गुजर  जाने के बाद उनके बारे में ऐसे शब्दों का प्रयोग करना ठीक नहीं”

“सॉरी ... क्या कहा...? थोड़ी सी अन –बन...?? उस आदमी ने जिंदगी बर्बाद कर दी थी हमारी जीते –जी और यदि मेरी माँ नहीं होती ना तो या तो मैं आज कोई अपराधी होता या फिर किसी पागलखाने की चार-दीवारी के अन्दर अपने बाल नोच रहा होता । मैंने आपकी सक्सेस स्टोरी पढ़ी थी, जिसमे आपने अपनी कामयाबी का पूरा श्रेय अपने पिताजी को दिया था । मेरे केस में ऐसा नहीं है”

“आकाश , मौत के बाद सब कुछ, सभी गिले –शिकवे हमें दूर कर देना चाहिए, क्यूंकि अब मरे हुए एक इंसान के लिए नफरत रखकर भी तुम्हारा कोई फायदा नहीं होगा ... क्यूंकि मृत्यु ही अंत है , यही आखिरी मंजिल है, इसके बाद कुछ भी नहीं...”

“हमारी संस्कृति में... भारतीय संस्कृति में मृत्यु आखिरी मंजिल नहीं है । ये तो मात्र एक गड्ढा है , जिसमे कुछ देर रहकर वापस किसी और रूप में  निकलना है । असली मंजिल तो इन सभी गड्ढो को फांदकर जन्म , मृत्यु के कालचक्र से पार पाना है, जिसे मोक्ष कहते है । हमारी संस्कृति में मोक्ष को जीवन का परम उद्देश्य माना गया  है । प्रारंभ में मुझे भी ये सब सिर्फ दकियानूसी बाते लगती थी पर फिर मुझे रियालाईस हुआ । अब आप  यदि इसे मेरा अन्धविश्वास कहना चाहती हो, तो बेशक कह सकती हो... क्यूंकि यदि मेरा अन्धविश्वास मुझे अच्छे कर्म करने की  प्रेरणा देता है तो वो आपके विश्वास से तो बेहतर ही है... क्यूंकि अंत में यदि कोई चीज मायने रखती है तो वो सिर्फ आपके कर्म है, उसी के आधार पर इस दुनिया में और इस दुनिया के पार वाली दूसरी दुनिया में, यदि कोई ऐसी दुनिया है तो... फैसला होना है कि... आप कैसे व्यक्ति थे । ”

 

मैंने पता नहीं ऑरोरा  से क्या –क्या कह दिया था, मुझे बस जो सही लगा, जो मेरे मन में आया मैंने वो कह दिया... मैं दुसरो के अंतर्मन को  उस तरह से नहीं  समझ सकता, जिस तरह से एक आम इंसान समझ लेता है ।  जैसे ऑरोरा  मेरे अंतर्मन को हमेशा समझ जाती है । मेरे अन्दर ये फीचर नहीं था, इसलिए मैं बिल्कुल भी नहीं बता सकता कि... मेरी बातो का ऑरोरा  पर क्या असर हुआ था, पर वो इस समय एकदम शांत थी और मुझे ऐसे निहारे जा रही थी, जैसे मैं उसे निहारे जा रहा था । बहुत देर तक हम दोनों एक दुसरे की आँखों में ऐसे ही देखते रहे और फिर ऑरोरा  ने चुप्पी तोड़ते हुए  कहा ....

“Aakash ? how much does it cost to send an astronaut to ISS…”

“Overall, more than 50 million dollars per astronaut .. I guess”

 अब बात जहा पैसो की हो और वहा फिजूलखर्ची का जिक्र ना हो, ऐसा हो ही नहीं सकता । ये तो हम मनुष्यों की  प्रवत्ति है । मैं और ऑरोरा  एक दुसरे के एकदम करीब होकर  Cupo।a की खिडकियों से बाहर देख रहे थे की तभी उसने अपना चेहरा मेरी तरफ किया ...

“आकाश , कभी –कभी मैं सोच में पड जाती हूँ कि  हम स्पेस एक्सप्लोरेशन में इतना पैसा क्यूँ खर्च कर रहे है, जबकि हमारी नीली दुनिया में आलरेडी इतनी प्रोब्लम्स है, पृथ्वी  की कितनी समस्याए तो हम स्पेस एक्सप्लोरेशन में खर्च होने वाले पैसो से ही कर सकते है ... तुम्हे नहीं लगता...? मेरा मतलब... 50 मिलियन डॉलर से भी ज्यादा, वो भी सिर्फ एक एस्ट्रोनॉट पर । फिर भी  हम विलीन्गली ये करते है और कोई इस पर सवाल तक नहीं उठाता...”

“तो तुम ये एक्स्पेक्ट  कर रही हो कि लालची आदमियों को पैसा दे दिया जाए और ये कहा जाए की .. ये लो ... अब  लालच मत करना..?? आपको क्या लगता है, वो लोग मान जायेंगे ...?? और रही बात पृथ्वी को बचाने की तो एक फ्री का तरीका मैं देता हूँ.... सब लोग मांस खाना बंद कर दो, पृथ्वी में मानव सभ्यता की आयु दुगुनी हो जायेगी, कई प्रकार की पर्यावरण सम्बन्धी समस्याए सुलझ जायेंगी । पर ये कोई करेगा नहीं... और आप पैसो से पृथ्वी की हालत सुधारने की बात कर रही हो...?”

“फिर भी स्पेस एक्सप्लोरेशन में व्यय किये जाने वाले इतनी बड़ी राशि का क्या औचित्य...?? क्या ऐसा पा लिया हमने, सिर्फ दो –चार आकाशीय पिंडो की तस्वीरे लेने की आलावा इसका कोई महत्व मुझे दिखाई नहीं देता... फिर हम ये  क्यूँ करते है ..?”ऑरोरा  अपने सवाल पर अडिग रही , दरअसल वो स्पेस एक्सप्लोरेशन के खिलाफ नहीं थी, वो बस मेरा जवाब सुनना चाहती थी या फिर ये सब सवाल –जवाब मेरी मानसिक स्थिति  चेक करने के उद्देश्य से डायरेक्टर का कोई प्लान था ।

“हम ये करते है, क्यूंकि भविष्य में जब कभी भी हमपर  पृथ्वी छोड़ने की नौबत आये तो हम पृथ्वी छोड़ सके .... इसलिए स्पेस एक्सप्लोरेशन जरूरी है.... क्यूंकि अंत तो  निश्चित है फिर चाहे वो अंत सभ्यता का हो या फिर सौरमंडल का... आज नहीं तो कल ”

 

ऑरोरा  मेरा जवाब सुनकर चुप हो गयी और मैं...? मैं तो वैसे भी चुप –चाप रहने वाला जीव हूँ । उसका ना तो ये सवाल गलत था और ना ही मेरा ये जवाब । उसने वो पूछा क्यूंकि वो उसके मन में था और मैंने ये कहा क्यूंकि ये मेरे मन में था । मैंने ऑन द स्पॉट , ऑन द मोमेंट ... जो जवाब मेरे मन में आया, वो मैंने कह दिया । लेकिन मेरे उस जवाब के बाद ऑरोरा  मेरी आँखों में कुछ देर तक देखती रही और मैं उसकी आँखों में बन रहे नीले प्रतिबिम्ब को । फिर उसने जीरो ग्रेविटी में अपने लहराते हुए जुल्फों के साथ अपनी आँखे बंद करके अपना चेहरा मेरी तरफ आहिस्ते –आहिस्ते मेरी ओर किया, मैंने भी वैसा ही किया । मैंने भी अपनी आँखे बंद की और अपने होंठ, उसके होंठो की तरफ बढ़ाये .... पर......

 

“हे ...Mr. A... क्या तुमको मालूम ... की आइंस्टीन ग्रेट मैंन क्यूँ था...”इस सवाल के साथ निक वहा वापस आ गया

“नहीं...”खुद को सँभालते हुए मैंने अपना चेहरा ऑरोरा  से तुरंत दूर किया

“क्यूंकि आइंस्टीन चाचू के बाल अर्थ पर भी जीरो ग्रेविटी के माफिक उड़ते रहते थे...”

 

निक को हिंदी सीखने का बहुत शौक था, इसलिए वो अक्सर नई –नई तरीके की हिंदी बोलता था । जैसे आज वो एक गुंडे के माफिक हमसे बात कर रहा था । खैर, मैंने निक के कथन पर ध्यान दिया ... कुछ सेकंड्स लगे मुझे निक के कथन को समझने में । निक , आइंस्टीन के फोटोज में उनके लहराते हुए बालो की तरफ इशारा कर रहा था । जिसमे उनके बाल वैसे ही लहरा रहे थे, मानो वो ISS में जीरो ग्रेविटी में हो...

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